Funny True Hindi Story इससे पहले हमने पढ़ी थी. आज हम रंग भेद पर Story पढेंगे. इस कहानी में Apartheid का अंजाम बताया गया है. उम्मीद है आपको यह कहानी बहुत पसंद आएँगी.
दिन गुज़रते गये सफ़ेद खरगोश में कोई फर्क नहीं आया। एक दिन जंगल में शिकारी आया उस वक़्त दोनों खरगोश खेल रहे थे जब शिकारी ने सफ़ेद खरगोश को देखा तो उसे वह बहुत प्यारा लगा। शिकारी ने काले खरगोश पर कोई ध्यान नहीं दिया। शिकारी सफ़ेद खरगोश को पिंजरे में कैद कर ले गया।
अब सफ़ेद खरगोश सारा दिन पिंजरे में कैद रहता और शिकारी का बेटा उसके साथ खेलता लेकिन यहाँ पर सफ़ेद खरगोश को मज़ा नहीं आता। उसे अपने माँ बाप भाई की बहुत याद आती। वोह अक्सर सोचता रहता काश मैं भी काले रंग का होता तो यूँ आज कैद में ना होता बल्कि अपने घर वालो के साथ होता।
Moral : आप कहानी पढ़ कर ही Moral समझ गये होंगे की हमें अपने रंग पर गुरुर नहीं करना चाहिए वरना उसका अंजाम ऐसा भी हो सकता है।
Hindi Story On Apartheid With Moral
किसी जंगल में खरगोश का जोड़ा अपने दो बच्चो के साथ रहता था एक बच्चे का रंग सफ़ेद दुसरे का काला था। सफ़ेद खरगोश अपने भाई के काले रंग का मजाक उडाया करता था । उसका भाई यह सुनकर उदास हो जाता उसकी माँ बच्चे को समझती के ऐसा नहीं कहना चाहीये। लेकिन सफ़ेद खरगोश यह बात एक कान से सुनता और दुसरे कान से निकाल देता।दिन गुज़रते गये सफ़ेद खरगोश में कोई फर्क नहीं आया। एक दिन जंगल में शिकारी आया उस वक़्त दोनों खरगोश खेल रहे थे जब शिकारी ने सफ़ेद खरगोश को देखा तो उसे वह बहुत प्यारा लगा। शिकारी ने काले खरगोश पर कोई ध्यान नहीं दिया। शिकारी सफ़ेद खरगोश को पिंजरे में कैद कर ले गया।
अब सफ़ेद खरगोश सारा दिन पिंजरे में कैद रहता और शिकारी का बेटा उसके साथ खेलता लेकिन यहाँ पर सफ़ेद खरगोश को मज़ा नहीं आता। उसे अपने माँ बाप भाई की बहुत याद आती। वोह अक्सर सोचता रहता काश मैं भी काले रंग का होता तो यूँ आज कैद में ना होता बल्कि अपने घर वालो के साथ होता।
Moral : आप कहानी पढ़ कर ही Moral समझ गये होंगे की हमें अपने रंग पर गुरुर नहीं करना चाहिए वरना उसका अंजाम ऐसा भी हो सकता है।
0 comments:
Post a Comment