Hindi Poem On Rainy Season
पानी को जब हम सब तरसेरिम झिम रिम झिम बादल बरसे
छाई है घंघुर घटायें
करती है सब शोर घटायें
बरसेंगी पुर जोर घटायें
उतरो बच्चो अब छत पर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
सडको पर पानी ही पानी
तुम ने मेरी बात ना मानी
अब तो बारिश है तूफानी
निकलो अब मत बाहर घर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
uncle पहने है बरसाती
छाते में है उनके साथी
जंगल में सब खुश है हाथी
पंछी भीगे बादल व पर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
बागो में आई हरियाली
फूल खिले है डाली डाली
देखो कितना खुश है माली
जामुन भी गिरते है पेड़ से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
घर की छत भी टपक रही है
बिजली भी अब कड़क रही है
सुखी नदिया छलक रही है
हो गया ऊंचा पानी सर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
बूढ़े भीगे बच्चे भीगे
झूटे भीगे सच्चे भीगे
अच्छे अच्छे अच्छे भीगे
भीगते आये सब दफ्तर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
दो दो फुट पानी सडको पर
दोस्त ना राही ना रहबर
पंछी है झाडो में छुपकर
सब के सब बारिश के डर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
देखो सब पर बारिश आई
भीग रहे है सब ही भाई
हिन्दू मुस्लिम सीख इसाई
देखे सब को एक नजर से
रिम झिम रिम झिम बादल बरसे
0 comments:
Post a comment