आज मैं लेकर आया हु एक कविता जिसका टाइटल आपको जीतना है.टाइटल बहुत simple है आपको जितने पर फेमस होनेका मौका है. इन्टरनेट पर मशहूर होना आसान नहीं हजारों लाखों लोगो में आप फेमस हो सकते है.
विजेता का नाम और पता और ब्लॉग है तो ब्लॉग का link पोस्ट के आखिर में share किया जायेंगा इस कविता का शीर्षक आपको comment के माध्यम से बताना है. अपना ईमेल भी उपलब्ध करे ताकि हम विजेता होने पर आपसे संपर्क करेंगे.
फिर घी और शक्कर खाओ तुम
मैं सब बच्चो का प्यारा हु
गर्मी सर्दी का सहारा हु
मिटटी चुना ईंट और पत्थर
है जमा ये सब मेरे अन्दर
वो देसी हो या परदेसी
हर एक की लौ है मुझ से लगी
मेरा हर कोना प्यारा है
कोठा है चौ बारा है
दालान है या वो कमरा है
हर कोना साफ़ सुथरा है
जो लोग भी मुझ में रहते है
दुःख सुख मिल कर सहते है
अम्मा भी है अब्बा भी है !
भाई भी है आपा भी है !
जब प्रेम से ये सब रहते है
आनंद के दरिया बहते है
कुर्बान बहन पर है भाई
वारी उस पर है माजाई
सब मुझसे उल्फत करते है
सब मेरा ही दम भरते है
मैं क्या हु ये बतलाऊ तुम
फिर घी और शक्कर खाओ तुम
Phir Ghee aur Shakkar khao tum
Main sab bachhon ka pyara hu
Garmi Sardi ka sahara hoon
Mitti chuna eent aur patthar
Hai jama ye sab mere andar
Wo desi ho ya pardesi
Har ek ki lau hai mujhse lagi
Mera har kona pyara hai
Kotha hai chaubara hai
Dalaan hai ya wo kamra hai
Har kona saaf suthra hai
Jo log bhi mujhme rahte hai
Dukh sukh milkar sahte hai
Amma bhi hai Abbu bhi hai
Bhai bhi hai aapa bhi hai
Jab prem se ye sab rahte hai
Aanand ke dariya bahte hai
Kurban bahan par hai bhai
Waari uspar hai maajaai
Sab mujhse ulfat karte hai
Sab mera hi dam bharte hai
Main kya hu ye batlao tum
Phir Ghee aur Shakkar khao tum
विजेता का नाम और पता और ब्लॉग है तो ब्लॉग का link पोस्ट के आखिर में share किया जायेंगा इस कविता का शीर्षक आपको comment के माध्यम से बताना है. अपना ईमेल भी उपलब्ध करे ताकि हम विजेता होने पर आपसे संपर्क करेंगे.
मैं क्या हु ये बतलाओ तुम - पहेली
मैं क्या हु ये बतलाओ तुमफिर घी और शक्कर खाओ तुम
मैं सब बच्चो का प्यारा हु
गर्मी सर्दी का सहारा हु
मिटटी चुना ईंट और पत्थर
है जमा ये सब मेरे अन्दर
वो देसी हो या परदेसी
हर एक की लौ है मुझ से लगी
मेरा हर कोना प्यारा है
कोठा है चौ बारा है
दालान है या वो कमरा है
हर कोना साफ़ सुथरा है
जो लोग भी मुझ में रहते है
दुःख सुख मिल कर सहते है
अम्मा भी है अब्बा भी है !
भाई भी है आपा भी है !
जब प्रेम से ये सब रहते है
आनंद के दरिया बहते है
कुर्बान बहन पर है भाई
वारी उस पर है माजाई
सब मुझसे उल्फत करते है
सब मेरा ही दम भरते है
मैं क्या हु ये बतलाऊ तुम
फिर घी और शक्कर खाओ तुम
Paheli - Main Kya hu batao
Main kya hu ye batlaao tumPhir Ghee aur Shakkar khao tum
Main sab bachhon ka pyara hu
Garmi Sardi ka sahara hoon
Mitti chuna eent aur patthar
Hai jama ye sab mere andar
Wo desi ho ya pardesi
Har ek ki lau hai mujhse lagi
Mera har kona pyara hai
Kotha hai chaubara hai
Dalaan hai ya wo kamra hai
Har kona saaf suthra hai
Jo log bhi mujhme rahte hai
Dukh sukh milkar sahte hai
Amma bhi hai Abbu bhi hai
Bhai bhi hai aapa bhi hai
Jab prem se ye sab rahte hai
Aanand ke dariya bahte hai
Kurban bahan par hai bhai
Waari uspar hai maajaai
Sab mujhse ulfat karte hai
Sab mera hi dam bharte hai
Main kya hu ye batlao tum
Phir Ghee aur Shakkar khao tum
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